भारत का पहला डिजिटल रुपी आ गया, जानिए कैसे करेगा काम, कबतक होगा लॉन्च
Writen by Sahil Khan
भारत का पहला सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी 1 नवंबर से शुरू हो गया है भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को होलसेल सेगमेंट को ध्यान में रखते हुए डिजिटल रुपी प्रोजेक्ट लॉन्च किया है. आरबीआई की रिटेल सेगमेंट के लिए डिजिटल रुपी का पहला प्रोजेक्ट चुनिंदा जगहों में एक महीने के भीतर लॉन्च करने की योजना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी
आरबीआई का कहना है कि होलसेल सेगमेंट पायलट प्रोजेक्ट में भागीदारी के लिए नौ बैंकों की पहचान की गई है इनमें भारतीय स्टेट बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा यूनियन बैंक एचडीएफसी बैंक आईसीआईसीआई बैंक कोटक महिंद्रा बैंक यस बैंक आईडीएफसी फर्स्ट बैंक HSBC बैंक शामिल हैं. डिजिटल करेंसी में कई देशों की रुचि है. हालांकि,केवल कुछ ही देश अपनी डिजिटल करेंसी को विकसित करने के पायलट चरण से आगे बढ़ने में कामयाब रहे हैं
भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि सीबीडीसी डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है. आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार "यह कागजी मुद्रा के समान है और कागजी मुद्रा के साथ इसका विनिमय किया जा सकेगा. केवल इसका रूप अलग है. " साधारण शब्दों में कहें तो, डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी करेंसी नोट्स हैं. इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में मौजूद रुपये को कॉन्टैक्टलेस ट्रांजेक्शन में इस्तेमाल किया जा सकता है. भारत में डिजिटल करेंसी दो तरह की होगी. रिटेल सीबीडीसीआर और होलसेल सीबीडीसीडबल्यू रिटेल सीबीडीसी संभवत सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी, वहीं होलसेल सीबीडीसी का उपयोग चुनिंदा वित्तीय संस्थानों के लिए होगा.
डिजिटल रुपी के फायदे क्या है
सीबीडीसी का उपयोग करने के कई लाभ होंगे. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले साल लोकसभा को बताया, "डिजिटल रुपी के बहुत से फायदे होंगे. इससे न केवल नकदी पर निर्भरता कम होगी, बल्कि सीबीडीसी संभवत: अधिक मजबूत, कुशल, विश्वसनीय, विनियमित और एक वैध भुगतान विकल्प की ओर ले जाएगी." देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी ई रुपी आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत कम हो जाएगी, या रखने की जरूरत ही नहीं होगी. डिजिटल करेंसी को लोग अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे
इसे बैंक मनी में बदला जा सकेगा
इसे बैंक मनी और कैश में आसानी से बदला भी जा सकेगा ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा, इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच हो जाएगी. इस प्रकार देश में आने और बाहर जाने वाले पैसे पर ज्यादा कंट्रोल होगा. इसके अलावा इससे नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा. कागज के नोट की प्रिटिंग का खर्च बचेगा. डिजिटल करेंसी जारी होने के बाद हमेशा बनी रहेगी और यह कभी खराब नहीं होगी पारंपरिक डिजिटल लेनदेन के मुकाबले सीबीडीसी ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि यह ब्लॉकचेन पर आधारित है जिसमें सेंध लगाना काफी मुश्किल है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में भुगतान तेजी से होता है सीबीडीसी के उपयोग से कैशलेस अर्थव्यवस्था में और बदलाव आ सकता है. सीबीडीसी के उपयोग से कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिलेगा और बैंकिंग परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव आएगा
क्रिप्टो करंसी और डिजिटल रुपी में क्या फर्क है
क्रिप्टोकरेंसी और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी में मुख्य अंतर यह है कि क्रिप्टो पूरी तरह से निजी करेंसी है. यह लीगर टेंडर (वैध मुद्रा) नहीं है और इसे कोई सरकार मॉनिटर नहीं करती. न ही किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का इस पर कोई कंट्रोल होता है. डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है. इसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है और यह पूरी तरह से सरकार समर्थित वैध मुद्रा है. जहां क्रिप्टोकरेंसी के रेट में उतार-चढाव आता रहता है, वहीं डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा. इसका वही प्रभाव होगा जो नकद मुद्रा का होता है. आप डिजिटल रुपी को नकदी में बदल सकेंगे
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